Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ajay Singla

Abstract

3  

Ajay Singla

Abstract

श्रीमद्भागवत -३१; विराट शक्ति की उत्पत्ति

श्रीमद्भागवत -३१; विराट शक्ति की उत्पत्ति

1 min
240


तब भगवान प्रवेश हो गए 

एक साथ ग्यारह इंद्रियों में 

मिला दिया तत्व समूह को 

क्रिया शक्ति से उन्हें आपस में ।


तब आदिपुरुष विराट उत्पन्न हुए 

चराचर विद्यामान है जिसमें 

विशवरचना के तत्वों का गर्भ वो 

हज़ार वर्ष वो रहा था जल में ।


यही भगवान का आदि अवतार है 

तेज से प्रकाशित किया था उसको 

विश्व की रचना करने हेतु 

भगवान ने फिर जगा दिया उसको ।


सबसे पहले उसे मुख प्रकट हुआ 

उससे अग्नि का प्रतिकार हो गया 

फिर उसमें तालु उत्पन्न हुआ 

उसमें वरुण का वास हो गया ।


नथुने प्रकट हुए जब उसके 

अशवनिकुमार प्रविष्ट हुए थे 

आँखें जब उसकी बनीं तो 

प्रवेश सूर्य उसमें हुए थे ।


इस तरह विराट पुरुष से 

पृथ्वी, आकाश, अंतरिक्ष प्रकट हुए 

सारे लोक उत्पन्न हुए इससे 

निवास करें सब इसी रूप में ।


वेद और ब्राह्मण प्रकट हुए थे 

विराट पुरुष के मुख से वो तब 

भुजाओं से क्षत्रिय, जंघाओं से वैश्य 

शूद्र वर्ण चरणों से हुए सब ।


ऐसी उस भगवान की माया 

मोहित करे सब ऋषियों को ये 

इस की थाह कोई पा ना सके 

हम सब उनको नमस्कार करें ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract