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Ajay Singla

Classics

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Ajay Singla

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श्रीमद्भागवत-२२४;श्री कृष्ण का अभिषेक

श्रीमद्भागवत-२२४;श्री कृष्ण का अभिषेक

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श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित

गोवर्धन धारण किया भगवान ने जब 

वर्षा से व्रज को बचा लिया 

उनके पास वहाँ आए थे तब।


गौ लोक से कामधेनु और 

देवराज इंद्र स्वर्ग से 

कामधेनु बधाई देने और 

इंद्र क्षमा माँगने के लिए।


भगवान का तिरस्कार करने से 

इंद्र बहुत ही लज्जित थे 

भगवान के चरणों में प्रणाम किया 

एकान्त स्थान पर जाकर उन्होंने।


घमंड उनका जाता रहा ये कि

स्वामी हूँ मैं तीनों लोकों का 

तब स्तुति की भगवान की 

हाथ जोड़ खड़े होकर वहाँ।


कहें भगवान, धर्म की रक्षा और 

दमन करने के लिए दुष्टों का 

आप अवतार ग्रहण करें, आप ही 

जगत के गुरु, स्वामी और पिता।


नियंत्रण करने के लिए जगत का 

दण्ड धारण किए दुष्कर काल हैं 

भक्तों की लालसा पूरी करने को 

लीला शरीर प्रकट करते हैं।


जो लोग हमारी तरह ही 

ईश्वर माँ बैठे अपने को 

मान मर्दन करने के लिए उनका 

लीलाएँ करें आप अनेकों।


ऐश्वर्या के मद में चूर हो 

अपराध आपका किया है मैंने 

क्योंकि बिलकुल अनजान था 

आपकी भक्ति और प्रभाव से।


क्षमा करके अपराध ये मेरा 

मुझ्पर आप ऐसी कृपा करें 

कि मुझे फिर ऐसे अज्ञान का

शिकार कभी ना होना पड़े।


नमस्कार करता मैं आपको 

अनुग्रह किया मुझपर आपने 

कि मेरे घमंड की जड़ उखाड़ दी

आया हूँ आपकी मैं शरण में।


भगवान ने हंसते हुए कहा तब 

इन्द्र, तुम ऐश्वर्या के मद में 

मतवाले हो रहे थे इसलिए 

तुमपर अनुग्रह करने को मैंने।


तुम्हारा यज्ञ भंग किया ताकि

नित्य तुम मुझे स्मरण रख सको 

ऐश्वर्य हर लेता मैं उसका 

जिसपर मुझे अनुग्रह करना हो।


इन्द्र, तुम्हारा मंगल हो, अब तुम 

जाओ और मेरी आज्ञा का पालन करो 

अब कभी घमंड ना करना 

नित्य निरन्तर मेरा स्मरण करो।


भगवान ये आज्ञा दे ही रहे थे कि

मनस्वनि कामधेनु आ गयी 

अपनी सन्तानों के साथ में 

गोपवेशधारी कृष्ण की वन्दना की।


उनको सम्बोधित कर कहा 

सच्चिदानंद स्वरूप कृष्ण जी 

आपको अपने रक्षक के रूप में 

पाकर हम सनाथ हो गयीं।


आप तो जगत के स्वामी हो 

और हमारे आराध्यदेव आप ही 

अतः हमारे इन्द्र बन जाइये

रक्षा के लिए हमारी।


ब्रह्मा जी की प्रेरणा से गोएँ हम 

इन्द्र मान अभिषेक करेंगी आपका 

दूध से और आकाशगंगा के जल से 

कृष्ण का तब अभिषेक कर दिया।


गोविंद नाम से सम्बोधित किया उन्हें 

गन्धर्व, सिद्ध, नारद जी भी वहाँ पर 

भगवान के यश का गान कर रहे 

देवता पुष्प बरसा रहे उनपर।


गौ और गोकुल के स्वामी 

गोविन्द का अभिषेक किया इन्द्र ने 

और उनकी अनुमति लेकर 

स्वर्ग को चले गए वे।


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