श्री गुरुवे नमः
श्री गुरुवे नमः


गुरु ज्ञान की मूरत, मिटाते सबका अज्ञान
गुरु महिमा अपार है, गुरु ही ईश्वर समान
कच्ची मिट्टी की भाँति होता है कोमल मन
बनकर कुम्हार आकार दे बनाते हैं पहचान
जीवन पाठ पढ़ाते नन्हे हाथों में थमा कलम
राह दिखा शिक्षा की पूरे करवाते हैं अरमान
विश्वास जगाते हैं उड़ने का मन के पंखों से
हौसला भरकर विचारों को देते हैं वे उड़ान
भाग्य विधाता वही हमारे जीवन के सूत्रधार
ऊर्जा देती शिक्षा उनकी हैं सब पर एहसान
शत-शत वन्दन गुरुजनों को हृदय से प्रणाम
गुरु बिना अधूरा सब, वही जीवन का वरदान