शक़ बुरी बला
शक़ बुरी बला
कोई पति अपनी पत्नी पर
बेमतलब शक़ की सुई न घुमाए ...
कोई पत्नी अपने पति को
बेतुके सवाल कर उनका सर न खाए ...
ये शक़ बहुत बुरी बला है !!!
जिसने भी इस कीड़े को
अपने मन में पाला है,
उसका दिमाग़ ही इस 'ज़ालिम' ने
नेस्तनाबूद कर डाला !!!
शक़ का कीड़ा जितना ही
इंसानी दिमाग में
घर बनाता जाता है,
उतना ही इंसान
अपनी उधेड़बुन में
अच्छे-बुरे की चयनशक्ति ही
खो देता है।
बेहतर होगा यदि स्त्री-पुरुष
दोनों ही स्वयं को
संयमपूर्वक एक-दूजे का
परिपूरक समझकर
अपनी पारिवारिक काम-काज को
आगे बढ़ाए...