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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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शिव-महातम्य।

शिव-महातम्य।

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शिव की महान रात्रि महाशिवरात्रि है कहलाती।

चंद्र मास के चौहदवे दिन में शिवरात्रि मनाई जाती।।


आध्यात्मिक रहस्य इसका है इतना सद्गुरु हैं बतलाते।

प्राकृतिक प्रवाह ऊर्जा नित बहती आत्मशक्ति हैं पाते।।


आदिगुरु शिव जी हैं ऐसे अध्यात्म गुरु कहलाते।

मन स्थिर जिसका नहीं होता निश्चिल वह बन जाते।।


भोगी से योगी वह बनता एकात्मता को वह है पाता।

एकात्म भाव को पाकर वह भी शिव पात्र है बन जाता।।


असीम रिक्तता शिव हैं कहलाते अस्तित्व शून्य का हैं बतलाते।

सब कुछ शून्य से ही उपजा शून्यता ही महादेव हैं कहलाते।।


सर्वव्यापी अंधकार ही रहता ब्रह्मांड की बनावट है बतलाती।

रिक्तता गोद में सृजन है होता सीमितता का अंत है कराती।।


शिव संहारक, शिव करुणामई, शिव उदार दाता कहलाते।

असीम विस्तार का अनुभव है होता जो शिव शरण हैं जाते।।


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