शिव चित्रण
शिव चित्रण
मेरे इष्ट तुम्हें शत शत नमन,
हे शशिशेखर शीश चंद्र को नमन,
दूर कैलाश बसे है,
तन पर भस्म का श्रृंगार सजे है,
सती पिंड को रूप दिए तुम,
कहलाएं वे शक्तिपीठ,
वाम देव रूप अति बलिहारी,
साध के गंगा जटा में तुम तारी धरती सारी,
भूत प्रेत गण साथी तुम्हारे,
वेद ऋषि नारायण सब भक्त तुम्हारे,
रूप बैरागी चिंतन काल की कठोर तपस्या है,
शिव के हो जाना प्रण है,
शिव हो जाना प्रश्न है,
ना नर आदि है शिव सा,
ना अर्धांग हुआ है शिव सा,
शिव पूजन चिंतन ध्यान अटल है,
शिव जितने साध उतने ही रौद्र है,
त्रिपुंड आस्था त्रिपुंड प्रतीक है,
नीलकंठ रूप त्याग और धैर्य है,
प्रेम, त्याग का चित्रण,
पार्वती संग शिखर विराजे मेरे नटराजन,
सर्प बाघ तुम सभी को तारे,
बन नन्दी के प्रभु तुम नंदी तारे,
शिव ना नशा है कोई और चरस की राख है,
शिव ध्यान है शिव विषधारी है शिव तीनो लोको के स्वामी हैं।