STORYMIRROR

Goldi Mishra

Children Stories Children

4  

Goldi Mishra

Children Stories Children

बचपन की याद

बचपन की याद

1 min
34


आज याद आई उस बचपन की,..


जिस बचपन में मायूसी थी,

जिस बचपन में ख्वाहिशें आधी अधूरी थी,

जहां मैं रेत सा था,

टूट कर फिर बनता था,

जहां तख्ती वाला झूला था,

उस पर झूला मैं जब जब हर दर्द को भूला था,


जिस बचपन में ना बैर ना भेद था,

जिस बचपन में सब स्पष्ट था ना कोई संदेह था,

जहां सर्फ के बुलबुले एक सुकून सा देते थे,

जहां मन को मीठे पुये भाते थे,


जिस बचपन में धारा पर बहती कागज़ की नाव थी,

जिस बचपन में बागों से चुरा कैरी वो खट्टी खाई थी,

जहां सुलेख और इमला थी,

जहां शब्दों से वाक्यों की यात्रा मैंने की थी,


जिस बचपन में बन कोयल छूना चाहा था आसमान,

जिस बचपन में बनाया था अपना एक माटी का संसार,

आज उम्र के ना जाने की पड़ाव पर आ पहुंचा हूं,

जीवन रचने निकला और बचपन पीछे छोड़ आया हूं,



Rate this content
Log in