शिक्षक और विद्यार्थी संबंध
शिक्षक और विद्यार्थी संबंध
बन अखंड दीप जलते अविरल,
करते शिष्य का भविष्य उज्जवलतम।
ज्ञान चक्षु खोल अक्षर ज्ञान दे,
शिक्षक विद्यार्थी के हैं मात-पितु सम।
जन्म देते हैं मात पिता
रोपित भी करते हैं बालक में संस्कार।
हाथ पकड़ सही राह दिखाते,
शिक्षक विद्यार्थी की आत्मा के शिल्पकार।
जो नव कर्णधार है देश के,
करते हैं उनका चरित्र निर्मान।
शिक्षक कर्तव्य बोध जागृत कराके,
बनाते शिष्य को सद्गुण की खान।
है पिता से सख्त लिए माँ सी ममता,
थामें विद्यार्थी की जीवन की कमान।
नित तपाकर बना खरा स्वर्ण,
बनाते विद्यार्थी को संस्कृति की पहचान।
ज्ञान से प्रगति का मार्ग दिखा कर,
करते हैं जग का उत्थान।
बना देश के उन्हें प्रतिनिधि,
शिक्षक विद्यार्थी के दूजे भगवान।