शिक्षा की जोत
शिक्षा की जोत
बहुजन तक शिक्षा को लाई।
प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई।।
कीचड़ से सारा गात सना,
था पग-पग पर आघात घना,
चला भाड़ फोड़ने एक चना,
वो अनहोनी से ना घबराई।
ये रीति-रिवाज क्रूर रही,
पर फुले ना मजबूर रही,
वो पाखण्डों से दूर रही,
फिर विद्रोह ने ली अंगड़ाई।
बहुजन फिरता मारा-मारा था,
शिक्षा बिन बैठा ढारा था,
फुले ने सही विचारा था,
अब तो शिक्षा ही करे भलाई।
नारी पर उपकार किया,
शिक्षा का प्रचार किया,
फिर सपने को साकार किया,
फुले शिक्षा की जोत जलाई।
