शिकायत फरियादी
शिकायत फरियादी
मुझे सुनने की ज़रा कोशिश करो
मत डालो लफ्ज़ मेरी जुबाँ में
कहीं ना लगे जो तुम कहते हो
बस सुन ही रहा मजबूरी में।।
कभी कुछ बातों का असर गहरा
अगर हो जाता दिलो दिमाग पर
बोली कड़वी भी हो उस पल के लिये
मज़ा आता महसूस करने मे।।
जो तराना कभी एक भी बार
छू जाता दिलों के तारों को
भूले से भी भूलता कहां वो धुन
बेवजह बेखबर गुनगुनाने में।।
एक लोहा है वो जो कील बना
एक ये भी लोहा चुम्बक बना हुआ
एक जबरन धँसा ज़ख्मों की तरह
एक चिपक गया दिलोदिमाग मे।।
हथौड़े की जरूरत होती है क्यों
हाथ काबिल है जिस काम के लिये
बन बारिश का सुमधुर झनकार
क्या है बज्र सा क्रूर दहाड़ने में।।
खुद को बचाने की कोशिश में
दूसरे को डुबाने की चतुराई
ये जायज़ हो सकता तेरे लिये
है एतराज़ मुझे ऐसे सोचने में।।
शिकायत कहो या फरियाद इसे
जो चाहे नाम दो मंज़ूर है हमे।
आईने के रूबरू बैठे तो फिर
परछाईं ढूंढते क्यों चट्टानों मे।।
मुझे सुनने की ज़रा कोशिश करो
मत डालो लफ्ज़ मेरी जुबाँ मे।।