तो कोई बात बने
तो कोई बात बने
मांग भरना तो एक रिवाज़ भर है
साथी का जीवन खुशियों से भरो
तो कोई बात बने.....
महज कहने को वचन सब लेते हैं
तुम ताउम्र हमसफ़र, हमदर्द बनो
तो कोई बात बने.....
शक, शिकायत तो सब करते हैं
तुम अटूट विश्वास बन सको
तो कोई बात बने.....
साथ जीने-मरने की बातें तो सब करते हैं
तुम खुशहाल ज़िंदगी की हकीकत बनो
तो कोई बात बने.....
अपेक्षाएं तो सभी करते हैं
तुम उसकी खामोशी को भी समझ सको
तो कोई बात बने.....
चेहरा तो सब देख पाते हैं
तुम चेहरे में लिखे मौन को पढ़ पाओ
तो कोई बात बने.....
वेदना का दान तो सभी देते हैं
तुम उसके अधरों पर मुस्कान ले आओ
तो कोई बात बने.....
अपमान तो संभवतः सभी करते हैं
तुम उसका गौरवमयी सम्मान करो
तो कोई बात बने.....
