तुम्हारी इस मेहरबानी को
तुम्हारी इस मेहरबानी को
तुमसे जो भी मांगा उसे हद से भी ज्यादा दे देते हो।
हिम्मत न जुटा पाया कोई तो उसको भी दिला देते हो।।
समझ न सका कोई अब तक तुम्हारी इस मेहरबानी को।
जो थे भटके अपनी राह से उसको मंजिल दिखा देते हो।।
तुमसे जो हुआ मुखातिब और लौ लगी कुछ पाने की।
मिलती रूहानी दौलत जिसे बेगराज लुटा देते हो।।
चतुर्भुज रूप है तुम्हारा सबके हृदय में हो रमते।
मल विकारों से भरे दिल को निर्मल बना देते हो।।
दीनबंधु हो सबके कोमल हृदय है तुम्हारा।
करुणा सागर है तुम मेें रंक को राजा बना देते हो।।
