” व्यवहारिकता “
” व्यवहारिकता “
नाचें अपने तालों पर
अहंकार के पर्वत पर बैठ जाएं,
लोगों को पहचानने में
आनाकानी करते रहें,
समाज के कर्तव्यों से
दूर -दूर आप रहें,
झूठी व्यवहारिकता का
स्वांग आप रचते रहें,
व्यंग्यों के वाणों से
दूसरे को आघात
आप करते रहें !
दूसरों की बात छोड़
अपनों से भेद – भाव
कितने दिन काम आएगा ?
सुखमय जीवन हमारा
गर्त में चला जाएगा !
आखिर कितने दिनों तक
संकीर्ण राहों पर चलते रहेंगे
थक हार करके आजन्म
तक फिर पछताते रहेंगे !
कार्य कोई नेक करें,
समाज का उत्थान करें,
साथ-साथ हम चलें,
संसार में कुछ नाम करें !
