जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
है संघर्षो का पथ प्यारा मुझे,
ये शूल भी मुझको भाते है,
कितना भी मुझे दर्द मिले,
ये पथ मुझे सिखलाते है।
न दिखलाओ लोभ मुझे,
मैं कभी न उलझूँगी,
कदम बढ़ा कर्तव्य पथ पर,
मैं नई कहानी रच दूंगी।
नित नव संघर्ष है सम्मुख मेरे,
आज मुझे कुछ गढ़ने को,
तपा तपा कर मुझे,
नव रूप में ढालने को।
घबरा जाऊँ मैं फिर कैसे,
यह सब मेरी परीक्षा है,
कर्तव्य पथ नित मुझे देता,
प्यारी प्यारी शिक्षा है।
चलती रहूंगी कर्तव्य पथ पर,
चाहे कितने शूल मिले,
इन संघर्षो से सीखकर,
शूल भी अब फूल बने।
