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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

शहीदों का बलिदान

शहीदों का बलिदान

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अब इतनी बेशर्मी 

तो न ही दिखाइए,

शहीदों के बलिदान का 

मजाक तो मत बनाइये।

शहीदों का मान सम्मान तो

आप करते नहीं हो,

उनकी शहादतों का 

अपमान तो मत कराइये।

ये मत भूलो कि

तुम्हारी करतूतें कोई देखता नहीं है

शहीदों की आत्माओं से

कुछ भी छिपा नहीं है।

आये दिन तरह तरह के

जो अपराध हो रहे,

जाति धर्म के नाम पर 

वैमनस्य जो बढ़ रहे।

भाई भाई ही आज देखो

आपस में लड़ रहे,

संवेदनाओं के स्वर

खामोश हो रहे।

सुरसा के मुँह सरीखा

भ्रष्टाचार बढ़ रहा है,

अनीति का राज देखो

कैसे फल फूल रहा है।

शहीदों का बलिदान जैसे

व्यर्थ जा रहा है,

आदमीयत मर रहा है

स्वार्थ का चक्कर 

जैसे सिरमौर बन रहा है।

शहीदों की आत्माओं का जैसे

रुदन चल रहा है,

हाय मेरे भारत तुझे

क्या हो रहा है।

चाहा था कैसा हमनें

और तू क्या था कल तक

मगर आज कैसा हो रहा है।

शहीदों का बलिदान जैसे

व्यर्थ जा रहा है,

उनके सपनों के भारत को

ये कैसा ग्रहण लग रहा है,

उनके बलिदान का ये 

कैसा सिला मिल रहा है।

शहीदों की आत्माओं का

रुदन चल रहा है,

उनका बलिदान आज

जैसे बेकार जा रहा है।



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