शहीद
शहीद
लड़ने गए थे सरहद पर अपनी मां की रक्षा में
खुद की मां को भूलकर, कूद पड़े मैदान में।
कभी इतराते थे वर्दी में, आज गहरी नींद में हैं
देश के लिए शहीद होकर, तिरंगे में आए हैं।
ये खड़े रहे सरहद पर, तो हम सोये आराम से
अपनी नींद गंवाकर ये लड़ते रहे मुश्किलों से।
कभी पीछे नहीं हटे डरकर ये मैदान से
सीने पर गोली खाये सर उठाकर शान से।
ये शहीद हुए, ये अमर हुए
अपनों को रुलाकर खुद खो गये।
कुर्बानी ए बेकार न जाएं
देश की सेवा में हम भी जी जान लगाये।
आज ए वादा करतें हैं आंसुओं को पीकर हम
सुनहरे अक्षरों में लिखेंगे आसमान में इनका नाम।
कभी नही भूलेंगे हम अपने वीर जवानों को
मरते दम तक लड़ेंगे, विजय ला देंगे देश को।
