मैले हाथ
मैले हाथ
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हाथों में डालें हाथ हैं।
एक दूसरे का साथ है।
मैले है हाथ तो क्या हुआ?
महनत किया तो काला हुआ।।
दिन रात महनत करते हैं।घर, मकान बनाते हैं।
गंदे कपड़े धोते हैं।जूते भी चमकाते है।
कूड़ा कचरा उठाके गांव की सफाई करते हैं।।
महल बनाकर भी हम सड़कों पर ही सोते हैं।
कपड़े साफ करके भी गंदे कपड़े पहनते हैं।
गांव को साफ करके भी हम गंदे कहलाते हैं।।
हमें कोई शौक नहीं, गंदे काम करने की।
बस मजबूरी है अपना,घर परिवार चलाने की।।
गंदे होकर भी हम दिल को साफ रखते हैं।
मेहनत की रोटी खाते हैं,सर उठाकर जीते हैं।।
मजदूर है हम, मजबूर हैं हम।
फिर भी एक दूसरे के साथ है हम।।
हाथ जोड़कर विनती है, हमें गंदे मत कहो।
आखिर हम भी इन्सान हैं,जीयो और जीने दो।।
