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Ashok Kumar Gound

Inspirational Others

5.0  

Ashok Kumar Gound

Inspirational Others

शब्द

शब्द

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मैंने सोचा बयाँ करूं,

शब्द की गूढ़ कहानी को।


कर सकूँ तो

अलग करू,

दूध में मिले पानी को।


शब्द का दीया जलाया किसने,

शब्द को जहां में लाया किसने।


है मौन इसका उत्तर,

बिना किसी आकार के,

फिर भी विविध प्रकार के

क्या यह सत्य है ?


शब्द ऐसा औजार है,

ना इसके सम तलवार है>


सोचा,शब्द को छोड़,

दूँजीवन को ही मोड़ दूँ।


मन में मेरे ख्याल आया,

दूसरा पहलू सामने आया।


शब्द तो मीठे है मिष्ठान से,

क्यों न इसे ही निकले जुबान से।


कहीं पर शब्द के फूल खिले है,

कहीं पर शब्द के आग लगे है।


शब्द को समझना,

सब के वश की बात नहीं,

क्योंकि शब्द की कोई जात नहीं।


शब्द को समझना है तो,

भावनाओं को समझना सीखों,

भाषा के झगड़े छोड़कर,

संगीत के सरगम गाना सीखो।


शब्द से होते मान-अपमान,

शब्द से पूजे कुल-जहान।


मेरी गुज़ारिश है आपसे,

ना ऐसा शब्द निकालो,

जो किसी की भावना को रौंदे,

किसी की ममता को कुचले।


बल्कि,

सभी को तृप्त करे,

सभी को प्यार दे,

फूलों के बदले,

शब्दो का हार दे।


क्या लिख रहा सही,

क्या कर रहा खता,

शब्दों के आगोश में,

खुद मुझे नहीं पता।


शब्द से आलोकित है जग सारा,

शब्द से छाया है अँधियारा।


"अशोक" कभी ये मत भूल,

शब्द ही है फूल-शूल।


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