शौक
शौक
शौक
आधुनिक युग
बढ़ते हुए शौक
नित नये -नये रंग
जीवन के बदलते ढंग
कैसे पूरे हो शौक सब हैं मग्न।
बस एक ही सबकी हौड़
न देख कोई भी मोड़
अंधी सबकी दौड़
पीछे सब छोड़
पूरे हो बस
शौक।
पाकेट खाली
चेहरे पर लाली
दिखावे की थाली
पर प्याली उसमें हैं खाली
भरने के प्रयास नहीं
काम पास नहीं
बस पाले
शौक।
पाले बस
उतने जितने
जिंदगी में चला कर
जी पाओ खुश होकर दम पर
नाकि माँ-बाप का बोझ
नित नये झँझट ला
सबको रूला
पूरा करो शौक।