सहायक प्यारा अपना समाज
सहायक प्यारा अपना समाज
जो भी हैं हम इस जगत में जो उपलब्ध हमें है आज,
इस उपलब्धि में बना सहायक प्यारा अपना समाज।
इस समाज में रहकर ही हम सब कुछ अर्जित करते हैं,
पाते हैं सब कुछ इस समाज से पर अर्पित करने से डरते हैं।
माना श्रम तो किया भी हमने पर उपलब्धि का राज़,
जो भी हैं हम इस जगत में जो उपलब्ध हमें है आज,
इस उपलब्धि में बना सहायक प्यारा अपना समाज।
इस समाज के बाहर अपना कुछ भी तो अस्तित्व नहीं,
सारा यश और सकल प्रशंसा अपना सब ही व्यक्तित्व यहीं।
करें कल्पना जो एकाकीपन की तो समझ आएगा राज़,
जो भी हैं हम इस जगत में जो उपलब्ध हमें है आज,
इस उपलब्धि में बना सहायक प्यारा अपना समाज।
हर एक जन इकाई है समाज की हम सब समाज के हिस्से हैं,
हमारा मूल्य बस है समाज में बड़े अनोखे किस्से हैं।
अर्जित किया जो है समाज से उसी को अर्पित करने में नाज़,
जो भी हैं हम इस जगत में जो उपलब्ध हमें है आज,
इस उपलब्धि में बना सहायक प्यारा अपना समाज।