सच्चे रिश्ते
सच्चे रिश्ते
सबके नसीब में नहीं वो सच्चा रिश्ता
वो शख़्स,
जो ज़िंदगी में ना सही पर
दिल ओ दिमाग़ में ज़रूर होता है!
सच्चे रिश्ते भी उन्ही को मिलते हैं
जो खुशनसीब होते हैं
वरना इस संसार रूपी मयानगरी में
रिश्ते भी मायवी होतें हैं
जो कभी पुराने कपड़ों की तरह रंग बदलते हैं
तो क़भी पलक़ झपकते ही
भारी पलड़े क़ी तरफ़ झुक जाते हैं!
रिश्ते वही सच्चे होते हैं जो..
जब-जब अंधे निकालतें हैं कमियाँ,
और बहरों कीं शिकायत होती हैं ,क़ी
हम ग़लत बोल रहे हैं तब- तब
बिना मौजूदगी के भी मौजूद होते हैं
ये सच्चे रिश्ते...