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Sonali Mudgal

Tragedy

3  

Sonali Mudgal

Tragedy

सच - विधवा ज़िंदगी का

सच - विधवा ज़िंदगी का

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पहले इस दिल की कश्ती से कभी न गुजरी, अब गुज-ए-बसर आसां नहीं है 


उम्र का दौर सब सिखला देगा, ये मैं जानती थी 

पर ये दौर दिखला देगा, अब यही एक सच है 


बेटी की खुशीयाँ ही, मेरा जहान है 

विदेश में बेटे की, हँसियां ही अब यहां हैं  


आँगन सूना है, बस पंछी अपने है

दानों पर फिर भी, ना जाने कितने सपने है


पता है मेरा सच ? मैं क्यों हूँ अकेली 

जिंदगी विधवा की यही तो बस है।


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