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Sonali Mudgal

Abstract

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Sonali Mudgal

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आवाज़ मेरे मन की

आवाज़ मेरे मन की

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कर एक अहसान उस पे, तुझमें तेरे पिता का जो है। 

ना उम्मीद के साथ कह, उन्हें याद किया यों है

हेल्लो कहते हुए महसूस कर, की तूने पैर छुआ है

और उनकी गाली ने, तुझे शाबास कहा है

जला दे एक दिया, तेरे बापस आने का

कर एक एहसान उसपे, जो तेरे पिता ने दिया । 


तुझसे तेरा दादा बड़ा प्यार करते थे, पर तेरे पिता के लिए वो हिटलर बड़े थे 

तुझे दादा क्यों कठोर ना लगे ?

बनने के लिए तो दोस्त मिलेंगे बहुत, पर जिम्मेदारी के लिए बस होता है पिता

चाहे वो दर्द , गम हो या कभी आंखें हुई नम,

तोड़ दे वो भ्रम, की तू कभी ना आएगा

तू बापस जाए या ना जाए , कुछ पल के लिए बाप तेरा मुस्कुराएगा । 

कर एक अहसान उस पे, तुझमें तेरे पिता का जो है।

खुद से तू कह सकेगा, यार मैंने सब ठीक कर दिया ।



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