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Sonali Mudgal

Tragedy

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Sonali Mudgal

Tragedy

डरी हुई मैं !

डरी हुई मैं !

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बैठी हूँ आज दर पे , इस राग को मैं गाने 

ये गली और सड़कें , सब लगे हैं डराने। 


जाऊं मैं कैसे घर से, सोचती हुँ आज 

जब जाऊं मैं डगर को, सब पूछते हैं साथ। 

क्या नहीं है बिटिया कोई साथ मे ले जाने को?


ना बदचलन का टीका , ना कॉलेज की कोई गलती 

पर न जाने क्यों मुझपे , पाबंदियाँ यूँ लगतीं? 


जब निकलती मैं घर से , माँ घी का दिया जलाये 

पर चाह है उसकी , बेटी कॉलेज क़भी क़भी जाये।

गंदगी समाज की सबको दिखती, मेरी बेबसी कोई देख नहीं पाये।


कॉलेज बंद करके , बैठी हूँ आज घर पे 

लड़की होने का डर मुझे सताये,

लड़की होने का डर मुझे सताये।



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