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दयाल शरण

Inspirational

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दयाल शरण

Inspirational

सच कहना

सच कहना

1 min
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सच कहना तुम

कितना याद मुझे 

तुम करते हो

सच कहना तुम

मुझको कितना 

खोजा करते हो

इक दिन मेरे दूर

चले जाने के बाद


सच कहना.......


संग बिताए पल तुमको

क्या याद आते हैं?

आम के रस में डूबे

रोटी के कौर कहीं

कुछ याद दिलाते हैं?

मां के हाथों तुमने भी तो

भोजन जीमा था

अतुल स्निग्ध स्पर्श

कोई सिहरन दे जाते हैं?


इक दिन मेरे दूर

चले जाने के बाद


सच कहना.......


मां कहती थी

साथ में अदभुत 

ताकत है

मां कहती थी 

रिवायत में

कुछ अंश विरासत है

तुमने कौन विरासत

किस ओंट समेट के

रक्खी है??


इक दिन मेरे दूर

चले जाने के बाद


सच कहना.......


सब कुछ तो तब भी

मां कह देती थी

चैत सको यूं नई 

चेतना देती थी

कितना भी अवसाद

किसी पल आ जाए

शहद से सिक्त 

जीवन को नवस्वप्न

संजो कर देती थी

शेष कौन सा स्वप्न

नयन में तुमने रक्खा है?


इक दिन मेरे दूर

चले जाने के बाद


सच कहना.......


सौ दिन बीते

फिर सौ दिन नए

उतर कर आयेंगे

जो कल थे वे आज

बिछड़ भी जाएंगे

स्वांस का व्यास बड़ा 

कर जीना ही होगा

जीवन में आस को

समुचित संकुल 

देना ही होगा

तुमने कितनी आस 

जगा कर रखी है?


इक दिन मेरे दूर

चले जाने के बाद

सच कहना.......


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