अवलंबित
अवलंबित
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तुम्हारी खुशियों को
तो रोज़ जीता हूं
कभी मेरी खुशियों को
जी कर देखो
मन हो ना हो फिर भी
मुस्कुराता हूं
कभी मेरी खातिर
मुस्कुराकर देखो
यह साथ जरा और
हसीन चाहता हूं
इफ्तिदा से इंतहा तक
हर लम्हा संग जीकर देखो
अंगुलियों में गिनो
जिंदगी छोटी सी है
कम वक्त में ज्यादा
खुशी पी कर देखो
मैं भीगता हूं, ठिठुरता हूं
कभी गर्मी से कुम्हलाता हूं
चलो इक बार हमसफर
बनकर तो देखो
तुम्हारी खुशियों को
तो रोज़ जीता हूं
कभी मेरी खुशियों को
जी कर देखो