Sanjay Pathade Shesh
Tragedy
सरकारी पुल
हर साल ध्वस्त
जनता होती त्रस्त
ठेकेदार की
योग्यता का
क्या दे सबूत?
उनकी निजी
इमारतें देखो
कितनी मजबूत
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
सारी जिंदगी और जीता इंसान भी मानो जिंदा लाश होता है. सारी जिंदगी और जीता इंसान भी मानो जिंदा लाश होता है.
धरती का सीना चीरकर,खून -पसीना जलाकर, हर मौसम की मार झेलकर,फसल को उगाकर। धरती का सीना चीरकर,खून -पसीना जलाकर, हर मौसम की मार झेलकर,फसल को उगाकर।
तरुवर प्रेम - प्रसून का ,काट रहा है कौन, भाईचारा आजकल, लोग रहे हैं भूल। तरुवर प्रेम - प्रसून का ,काट रहा है कौन, भाईचारा आजकल, लोग रहे हैं भूल।
साँसे हाँ साँसे...! बस वही चल रही हैं. साँसे हाँ साँसे...! बस वही चल रही हैं.
सभी ख़ामोश है मग़र आज नहीं तो कल बस मेरे बदल जाने को। सभी ख़ामोश है मग़र आज नहीं तो कल बस मेरे बदल जाने को।
अपनी गलती का करो सुधार, वृक्ष लगाए हर परिवार। अपनी गलती का करो सुधार, वृक्ष लगाए हर परिवार।
मैं लगी हूँ सुलझाने को कुछ हड़बड़ी सी हो गयी है आँखों में आज फिर मैं लगी हूँ सुलझाने को कुछ हड़बड़ी सी हो गयी है आँखों में आज फिर
लेकिन जहां मतलब सिद्ध हो सकता है वहाँ इंसान की इंसानियत का भंगड़ा है लेकिन जहां मतलब सिद्ध हो सकता है वहाँ इंसान की इंसानियत का भंगड़ा है
गुलामी आज भी मन के किवाड़ें खटखटाता है। गुलामी आज भी मन के किवाड़ें खटखटाता है।
तेरा वजूद जो खोया,जी करता है जीवन दरिया में डूब मरने को। तेरा वजूद जो खोया,जी करता है जीवन दरिया में डूब मरने को।
सावन की फूलवारी को भी , धुआं धुआं बनाते लोग। सावन की फूलवारी को भी , धुआं धुआं बनाते लोग।
नौ माह रक्त से सींचा जिसको सपने बुन - बुन पाला जिसको। नौ माह रक्त से सींचा जिसको सपने बुन - बुन पाला जिसको।
आज मैं ऐसा महसूस कर रही हूँ भीड़ में बैठी हूँ फिर भी किसी को तलाश रही हूँ. आज मैं ऐसा महसूस कर रही हूँ भीड़ में बैठी हूँ फिर भी किसी को तलाश रही हूँ.
कोई न लेता सुध हमारी है दिन-ब-दिन बढ़ती बेरोजगारी है। कोई न लेता सुध हमारी है दिन-ब-दिन बढ़ती बेरोजगारी है।
मुंह पर हैं ताले लगे हुए देख, सुन ना बोल सकता हूँ ! मुंह पर हैं ताले लगे हुए देख, सुन ना बोल सकता हूँ !
मुस्कुराते लोगों का वाह क्या रिवाज़ है। मुस्कुराते लोगों का वाह क्या रिवाज़ है।
परंतु मेरा दृष्टिकोण कुछ भिन्न है ऐसी अनर्गल बातों से मन खिन्न हैं… परंतु मेरा दृष्टिकोण कुछ भिन्न है ऐसी अनर्गल बातों से मन खिन्न हैं…
सजेंगे की बिखरेंगे, जाने इनकी क्या हालत होगी… सजेंगे की बिखरेंगे, जाने इनकी क्या हालत होगी…
आज यूं अंत हुआ उसके इंतजार का। आज यूं अंत हुआ उसके इंतजार का।
धरती माँ के भीगे-भीगे आँचल में आलोक गज़ल, अता करेंगी नयी धड़कनें हृदय-हीन बैतालों में। धरती माँ के भीगे-भीगे आँचल में आलोक गज़ल, अता करेंगी नयी धड़कनें हृदय-हीन बैता...