STORYMIRROR

chandraprabha kumar

Inspirational

4  

chandraprabha kumar

Inspirational

सबका प्रभव

सबका प्रभव

1 min
278


  

गुरु भास्वर ज्ञानदीप से

अज्ञान तम का नाश करता ,

गुरु से ही सब भाव होते। 

गुरु से ही ज्ञान मिलता।


शरीर को स्वस्थ नीरोग रखो 

मन को भगवान के चरणों में रखो,

वह संसार दिल लगाने की जगह नहीं है

प्रतिक्षण बदलता नश्वर विश्व है ।


जो तेरा है नहीं

उन्हें मोहब्बत करते नहीं,

नीम से मुँह कड़वा होगा

गन्ने से मुँह मीठा होगा। 


यह दुनिया में दिल लगाओगे तो 

दिल कड़वा होगा ,

तुम्हारी

दृष्टि होनी चाहिये

अविनाशी परमात्मा पर।


श्रीकृष्ण ने गीता में स्पष्ट कहा है 

इससे बड़ी गाथा कोई नहीं,

जीते जी मुक्ति होनी चाहिए 

जिसका तुम आज अभी अनुभव कर सको। 


इसी शरीर के अंदर आत्मस्वरूप है 

अपने आपको जानना,

सत्य की प्राप्ति करा देता है

मन बुद्धि के पीछे विशुद्ध आत्मा है।


ज्ञान की डुबकी लग जाएगी

इसमें संशय नहीं करना है,

डुबकी लगानी सीखनी पड़ेगी

तुम सत्य स्वरूप चैतन्य स्वरूप हो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational