सबका दाता
सबका दाता
हर प्राणी के हृदय में समा रहा,
हर मुखड़े को तू ही हँसा रहा,
हे ईश्वर ! हे दाता!
सबको रोटी तू है देता,
सभी को तू सिखा रहा,
तू ही सबका पालनहार है।।
हिम्मत तुझसे हमें मिलें,
हर हाल हँसते रहे,
मेहनत से हम नहीं डरें,
ऐसी संतुष्टि से रहें,
तू ही सबको सिखा रहा।।
तेरी मौजूदगी में हम रहें,
जन्म दिया तूने है दिया,
तू ही हमारे कष्ट हरे,
तू हर अवसर दिला रहा,
अन्न जल का महत्व हम समझे ,
सबको वकत की पहचान करा रहा,
हम सभी को सिखा रहा।।
तन पर चाहें वस्त्र धारण नहीं किए,
लेकिन आत्मसंतुष्टि से फिर भी रहें,
धन से भले ही वंचित रहें,
स्वाभिमान को धारण कर,
सद्बुद्धि ज्योत सदा जलाएँ,
ज्ञान का प्रकाश सदा झिलमिला रहा।।