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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

सभी जनों को है नमन

सभी जनों को है नमन

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हम करें सदा वही जतन, 

जिससे उन्नति करे वतन।

स्वार्थ भाव और रहें न ग़म

खुशी-सुख और रहे अमन।


सबके हित के भावों सहित

प्रफुल्लित रहें सभी के मन।

वतन के हित में सतत् ही रत

मेरा सभी जनों को है नमन।


अखिल विश्व में बहार हो ,

सभी से सबको ही प्यार हो।

सकल धरा एक वृहत सा घर,

यह जगत एक ही परिवार हो।


रहें खुश ही जो सर्वदा और,

प्रसन्न कर दें सबका ही मन।

वतन के हित में सतत् ही रत,

मेरा सभी जनों को है नमन।


सबको सबकी उन्नति से हर्ष हो,

खुशी मिले और सदा उत्कर्ष हो।

सब ही सबसे करें बेशुमार प्यार,

असीम खुशियां रहें सभी के द्वार।


सदा सब ही सबके ही सहयोगी हों,

सदा सब पूर्ण स्वस्थ - निरोगी हो।

सभी शरीर से पूरी तरह स्वस्थ हों,

और सदा स्वस्थ होवें सभी के मन।

वतन के हित में सतत् ही रत ,

मेरा सभी जनों को है नमन ।


मात्र कल्पना से तो जग में न होता है काम,

धीरज संग नियोजन कर बिना किए आराम।

निस्वार्थ भाव से ही मिलकर सुबह से शाम,

सबके हित भावों को रख करना सतत् है काम।


स्वार्थ भाव को त्यागना होगा और हमें सर्वहित में

योजनानुसार कार्य हो निज स्तर पर करते मनन।

वतन के हित में सतत् ही रत,

मेरा सभी जनों को है नमन।


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