सब ख़ुदा की नज़र में है
सब ख़ुदा की नज़र में है


बोलबाला है असत्य का जग में, सच का कठिन पहर है
छुपा लो गुनाह गैरों से, मगर! हम सब खुदा की नज़र में है
ख़बर से बेख़बर है हम, मगर! खुदा को हर बेख़बर की ख़बर है
बेशक हमारे चेहरों की मुस्कुराहट में खुदा के रहमतों का असर है
बच नहीं सकते हम अपने कर्मों से, हमारे कर्म ही हमारा रहबर है
यूं ही व्यर्थ न करें जिन्दगी को, हमारी जिन्दगी ही एक नया अवसर हैं
छल से कहीं दूर निश्छल की तरह, अगर रहे हम तो जीवन हमारा शजर हैं
इस पावन धरती पर गंगा की तरह बहता जीवन हमारा निर्झर है
हम घबरा जाते देख कर ऊँचाई पहाड़ का, और कहते कठिन डगर है
तनिक ग़ौर करो, पवन संग पक्षी उड़ने वाला कहता छोटा अम्बर है।