STORYMIRROR

SANJAY SALVI

Romance

3  

SANJAY SALVI

Romance

सावन

सावन

1 min
187


काले काले मेघा तू ऐसे कैसे बरसा

तन तो मेरा भीग गया मन अभी भी प्यासा,

काली सांवली घटा है छाई, रुत भी भीगा भीगा

तन तो मेरा धुल गया मन को भिगोना होगा,

रूत आएगी रूत जाएगी हम तो रहेंगे यूँ ही

बिन सावन और बिन साजन के कैसे कटेंगे दिन भी,

देखो  देखो सावन आया झूले पड़े अंगना में,

मन भी मेरा झूम उठा अब साजन के गाने में,

अब तो साजन आन मिलो और भीगो दो मेरे मन को,

झूमने वाले सावन जा अब तू ही बता साजन को !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance