साथी की तलाश
साथी की तलाश
हमेशा ये,
सोचा करता था,
जब नौकरी मिलेगी,
बहुत से पैसे जोड़ुगा,
अपनी वित्तीय स्थिति,
पहले से बेहतर करूंगा,
फिर छोकरी की तलाश करूंगा।
हर प्रयत्न किया,
हर तिगड़म लड़ाया,
परंतु अच्छी नौकरी,
ढूंढ न पाया,
जीवन की नैया को,
मिला नहीं खेवैया,
सबकुछ हो गया,
समझ से बाहर।
अकेला रह गया हूं,
मैं सोचना नहीं चाहता,
परंतु दिमाग,
कहां रूकता,
वो बार बार आपको,
आपके अकेलेपन की ओर ले जाता,
मन हमेशा उदास रहता,
कोई मदद को भी,
नहीं आता,
क्या जीवन,
ऐसे ही निकलेगा,
ये सोचकर,
घबरा जाता।
अब तो,
भगवान के हाथ ही है डोर,
शायद वही,
पहुंचा दे,
किसी ठोर।