सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान कहाँ है
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान कहाँ है
गाँधी सुभाष नेहरू से इंसान कहाँ है
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान कहाँ है
कहाँ है आज वो हौसले सर परसती के
सर को कटाने वाले नव जवान कहाँ है
जो जान दिया करते थे एक दूजे के लिए
वो हिन्दू कहाँ है वो मुस्लमान कहाँ है
जहाँ शाखों पर रहा करती थी कभी सोने की चिड़िया
वो शाख कहाँ है वो गुलिस्तां कहाँ
जहाँ झरते थे पत्थरों से कभी दूध के झरने
अब देते नहीं दिखाई वो पाषाण कहाँ है
थी बनती पसीने से जिनकी मोतियों की लड़ी
वो मोतियों की खेती वो किसान कहाँ
जहाँ बच्चे बच्चे के मैं में देश प्रेम था
वो प्यार की हिलोर वो तूफ़ान कहाँ है
हम जंग में आज़ादी की अनेक एक थे
अब काँटा फसा दिलो के दरमियान कहाँ है
जो देश की आज़ादी को लहू में रंग गया
पंद्रह अगस्त आया वो निशां कहाँ है
