रास्ता ही मंजिल है पता ना था
रास्ता ही मंजिल है पता ना था
रास्ता ही मंजिल है पता ना था
रास्ते पर चलते रहे, कभी गम मिले कभी मिली खुशी
कभी तेज़ चली, कभी थोडी रुकी
शायद थी वो जिंदगी
कुछ देर तो सोचने रुका था मैं
पर रास्ता ही मंजिल है पता ना था
कुछ लोग नए मिलते गए, पुराने कुछ कहीं खो गए
कुछ रिश्ते नये बनते गए, पुराने कुछ कहीं छूट गए
वो जो मिले उस रास्ते पर, कुछ साथ मंज़िल पर चल चले
जो साथ है अपने, वही तो मंज़िल है पता ना था
मंज़िल की चाह में
कितना घूमा, कितना भटका
जब थक कर, रुक कर देखा तो
रास्ता ही मंज़िल है पता चला।
