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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Fantasy

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Fantasy

सार छंद

सार छंद

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मौसम मन‌ को भाते हैं जब, कलियॉं महके जाते।

जैसे डाल-डाल पर चिड़िया, कलरव करते गाते।।


मानव एक वही सम पक्षी, साथी गीत सुनाना।

चुग-चुग कर के दाना लाते, सच्ची बात बताना।।


जीवन‌ के तुम आज बटोही, पग-पग राह सुहाते।

मौसम मन‌ को भाते हैं जब, कलियॉं महके जाते।।


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