सार छंद
सार छंद
मौसम मन को भाते हैं जब, कलियॉं महके जाते।
जैसे डाल-डाल पर चिड़िया, कलरव करते गाते।।
मानव एक वही सम पक्षी, साथी गीत सुनाना।
चुग-चुग कर के दाना लाते, सच्ची बात बताना।।
जीवन के तुम आज बटोही, पग-पग राह सुहाते।
मौसम मन को भाते हैं जब, कलियॉं महके जाते।।
