साँसों की किल्लत कितनी
साँसों की किल्लत कितनी
गुज़ारे की गुंजाइश बामुश्किल हासिल
पसंद नापसंद का बात मत पूछो ।।
हलाल होते रोज़ सामने हक़ीक़त के
सुनहरी ख्वाबों की बात मत पूछो।।
लहरों के बीच खड़ा चट्टान हूँ जरूर
लेकिं मेरे प्यास की बात मत पूछो।।
मैकदे की मेज का लुढ़कता प्याले से
पीने पिलाने की बात मत पूछो।।
हर बात बोलना मुमकिन होता नहीं
अनकही आहों की बात मत पूछो।।
इस नज़्में में नज़ाकत लफ्ज़ दर लफ्ज़
नब्ज़ों में रवानगी की बात मत पूछो।।
मर नहीं सकता ज़िंदा इसलिये बामन
साँसों की किल्लत कितनी यह मत पूछो।।