सांसें रहने तक !
सांसें रहने तक !
गुज़र रहे हैं दिन
बीत रही हैं रातें
बीती जा रही है जिन्दगी
तुम बिन सजन !
हर दिन राह तकूं मैं तेरी
अब तक ,,,,,,
तुम ना आए
आई ना तेरी पाती !
इन बहती हवाओं ने
दिया संदेसा तेरा
तुम भी हो बेकरार वहां
फिर क्या बात है जो
चुप्पी साधे बैठे हो !
लो ,,,,,,,
पहले हमीं लिख देते हैं
तुम जवाब ही दे देना
कम से कम
मेरी सांसें रहने तक !