साँझ
साँझ
अस्त
होते सूर्य की
लालिमा देती संदेश
साँझ के आने का।
साँझ होते ही
लौटने लगते परिंदे
अपने नीड़ों में
दिन भर
इधर-उधर
डोल कर, चर कर
लौटती गायें।
अपने घर,
निबटा कर
अपने सभी काम
बच्चे-बड़े
महिलाएँ-पुरुष
सभी भागते हैं
अपने-अपने
घरों की ओर।
पहुँच कर
पीते हैं चाय
आराम से
सबके साथ
अपनी कहते और
सबकी सुनते हुए।
इसी से
बेहद पसंद है
साँझ और साँझ की
लालिमा !
