साहित्य की सुंदरता
साहित्य की सुंदरता
साहित्य का सौंदर्य जो इश्क तक सिमटने लगा है
पाठकों का कारवां खुद साहित्य से हटने लगा है।
अब अल्फाज़ो को जमीं तक खींचकर लाना होगा
हर्फ की बुनावट को स्याही से फिर सजाना होगा।
गुमसुम से हैं शब्दकोष पाठकों के घट जाने से,
खो रही साहित्य की सुंदरता को अब बचाना होगा।
आखिर प्रेयसी के प्यार की फुहारों का क्या कहना
पर वह दर्द माँ के स्तन से दूध के कतरे का न बहना।
सोचो बच्चे की कराहों से भीगती वो मार्मिक पंक्तियाँ,
ये सुख-दुख लेखन के विधान का साहित्यिक गहना।
चंचल तितलियों कुहासे की धुंध को क्या लिखना
गिरते झरने पर रश्मि की रंगीनियो को क्या लिखना।
धरती के सीने के उन छालों का जलन देखो साहिब,
सिगरेट के धुँए से कैंसर क्यों पनपा यह भी लिखना।
मन के सौंदर्य गुमशुदगी की तलाश खुद से करना होगा
संघर्ष परक शब्दों को साहित्य शोध में भरना होगा।
अब दुकानों की रैक में घुट जाये न साहित्य सुंदरता,
ललकार के सम्मुख चित्कार को साहित्य में मरना होगा।