"रूपचौदस त्योहार "
"रूपचौदस त्योहार "
करती है, सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार
उनको समर्पित, रूपचौदस का त्योहार
साथ, यह नरक चतुर्दशी का भी है, वार
इस दिन नरकासुर का किया था, संहार
ओर किया 16 हजार स्त्रियों का उद्धार
श्री कृष्ण प्रभु जी आप तो हो, तारणहार
आपने तो लिए प्रभु हर युग में अवतार
सत्यभामा द्वारा मिटाया, नरकासुर, भार
तन सजाते, भीतर लगा, गंदगी, अंबार
उनके लिए रूपचौदस पर्व है, बेकार
जिन्होंने किया, भीतर सोलह श्रृंगार
उनके लिये रूपचौदस करे, चमत्कार
उन्हें न होगा रूपचौदस पर्व स्वीकार
जो जी रहे है, लेकर मन में मण भार
जिनके अंदर-बाहर सादगी का श्रृंगार
उनके लिए हर दिन रूपचौदस त्योहार
पर आज फैला हुआ है, इतना, अंधकार
उजाले भी हुए, अब तो अंधेरे के शिकार
जो भीतर गंदगी बाहर करते है, नर-नार
उनके लिए तो उजाले भी करते, इंतजार
लगाओ दीप बाहर, प्रकाश भीतर हो यार
तब होगा सार्थक, मनाना दीपोत्सव त्योहार
सबको ही मुबारक हो रूपचौदस त्योहार
सब चेहरे खिले हो जैसे, उपवन फूल हजार