Shubham Garg
Tragedy
अगर मौत के समय सिर्फ शरीर मरता है रूह नही,
तो कब मिलोगे मुझे दोबारा?
अगर मेरा शरीर भी मर गया,
तो मुझे पहचानोगे कैसे?
और मैं कैसे पहचानूंगा तुम्हे?
मर चुके हो तु...
परफ़ेक्ट इश्क़
रूह
बयान
यूँ तो नहीं
मसरूफ़
मेरी आँखों में है तेरा अक्स, तो आईना जलता क्यों है? मेरी आँखों में है तेरा अक्स, तो आईना जलता क्यों है?
जब धरती रोती है ग़म के आंसू,मैं भी अपनी कलम उठाता हूँ। जब धरती रोती है ग़म के आंसू,मैं भी अपनी कलम उठाता हूँ।
पर हम नहीं थमेंगे, जुबानों से जो न कही जा सकी, बसती रहेगी वह आँखों की कहानी। पर हम नहीं थमेंगे, जुबानों से जो न कही जा सकी, बसती रहेगी वह आँखों की कहानी।
जाल शिकारी के फैले हैं, बचा के रखना अपनी लाज।। जाल शिकारी के फैले हैं, बचा के रखना अपनी लाज।।
तोड़ दिये मेरे सारे सपने रह गई मैं हूँ अकेली तोड़ दिये मेरे सारे सपने रह गई मैं हूँ अकेली
काँटों की नोक पर गुजरती है उम्र, काँटों की नोक पर गुजरती है उम्र,
अंदर से वह गहराई से भावपूर्ण प्यार करने वाली होती होगी अंदर से वह गहराई से भावपूर्ण प्यार करने वाली होती होगी
"मुरली" समालें मुझे बांहों में तेरी, सूनलें पूकार तूं ओ सनम मेरी। "मुरली" समालें मुझे बांहों में तेरी, सूनलें पूकार तूं ओ सनम मेरी।
न रातों में बेकरार जगेंगे, तुम खेल लेना जितना! न रातों में बेकरार जगेंगे, तुम खेल लेना जितना!
अब तो शायद इंतज़ार को भी पता है की ये इंतज़ार ही मेरा सब कुछ हुआ। अब तो शायद इंतज़ार को भी पता है की ये इंतज़ार ही मेरा सब कुछ हुआ।
सब खोकर सब लुटाकर मैं बुद्ध को ना पा सकी। सब खोकर सब लुटाकर मैं बुद्ध को ना पा सकी।
सवाल है मन में कई, जवाब पता नहीं बस एक उम्मीद है, शायद वापस आएगा वो। सवाल है मन में कई, जवाब पता नहीं बस एक उम्मीद है, शायद वापस आएगा वो।
कहते है कि आधे अधूरे मनसे किये गये काम कभी पूरे नहीं होते। कहते है कि आधे अधूरे मनसे किये गये काम कभी पूरे नहीं होते।
क्यों करके झूठा प्यार हाए मेरी पलकों को भिगो गया तू। क्यों करके झूठा प्यार हाए मेरी पलकों को भिगो गया तू।
अपनी यादों में समेट कर लाना है फिर महीने भर उसी में मुस्कुराना है।। अपनी यादों में समेट कर लाना है फिर महीने भर उसी में मुस्कुराना है।।
यारों की महफ़िल में भी इंसां का अकेलापन ना दूर हुआ। यारों की महफ़िल में भी इंसां का अकेलापन ना दूर हुआ।
दूजों के भावों को समझकर वे करें समय पर उनका भी सम्मान। दूजों के भावों को समझकर वे करें समय पर उनका भी सम्मान।
समाज में व्याप्त अंधविश्वास भ्रष्टाचार अनाचार देखकर सिहर उठती हूं मैं। समाज में व्याप्त अंधविश्वास भ्रष्टाचार अनाचार देखकर सिहर उठती हूं मैं।
है नहीं आसान यादों की नदी से बाहर आना। है नहीं आसान यादों की नदी से बाहर आना।
कभी था एक ज़माना, जब मेरे साथ तू था हंसते खेलते बिताते थे हम पल। कभी था एक ज़माना, जब मेरे साथ तू था हंसते खेलते बिताते थे हम पल।