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Shubham Garg

Abstract

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Shubham Garg

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बयान

बयान

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उन कागज़ों के ऊपर समेटे

उन अक्षरों की कसम,

वो तब भी तुम्हें बयान नहीं कर पाते थे,

वो आज भी तुम्हें बयान नहीं कर पाएंगे।      

                                           

तुम्हारी याद में गुनगुनाई

उन ग़ज़लों की कसम,

वो तब भी मेरा प्यार बयान

नहीं कर पातीं थीं,

वो आज भी मेरा प्यार

बयान नहीं कर पाएंगी।                 

 

तुम्हारी गैर-मौजूद्गी में

तलाशे उन आइनों की कसम,

वो तब भी तुम्हारा अक्स

बयान नहीं कर पाते थे,

वो आज भी तुम्हारा

अक्स बयान नहीं कर पाएंगे। 


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