STORYMIRROR

Shubham Garg

Others

3  

Shubham Garg

Others

मसरूफ़

मसरूफ़

1 min
427

जिस दिन वो मरा,

किसी के चीखने चिल्लाने की

आवाज़ सुनी थी क्या तुमने?

कहां से सुनते,

कानों में इयरफॉन लगाए

दुनिया के शोर को भुलाकर

अपने ही शोर में मसरूफ़ थे तुम।


जिस दिन वो मरा,

क्या तुमने देखी थी उसकी

आँखें जो सूज गईं थीं रोते रोते?

कहां से देखते,

अपने फोन की स्क्रीन पर आती

वॉट्सएप मेसेजेज़ की नोटिफिकेशंस

को देखने में मसरूफ़ थे तुम।


जिस दिन वो मरा,

क्या बात की थी उससे

ये जानने के लिए की बाहर से

बढ़िया कहकर अंदर से कैसा है वो?

कहां से करते,

अपने क्लाइंट्स से बात करने में

मसरूफ़ थे तुम।


और हों भी क्यूँ ना,

लोग तो मरते ही रहते है न आए दिन।

अब जो मर गया है वो,

तो भूल भी जाओगे उसे यूं ही,

मलाल थोड़ा सा भी होगा की नहीं?

कहां से होगा,

अपने मलालों में जो इतना मसरूफ़ हो तुम।   


Rate this content
Log in