रुठो ना ऐसे तुम
रुठो ना ऐसे तुम
रुठो ना ऐसे तुम, जरा करीब आओ
ख़ूबसूरत सा कोई गीत गुनगुनाओ
ये शाम घनी हो जाती है
तुम और हसीन हो जाती हो
मैं पल पल यूं तरसता हूँ
तुम और मुझे तड़पाती हो
ज़िद करो ना ऐसे तुम, अभी मान जाओ
ख़ूबसूरत सा कोई गीत गुनगुनाओ
मैं तो प्रेम का ही प्यासा हूँ
तुम यौवन का इक सागर हो
मैं बस डूब जाना चाहता हूँ
तुम क्यो ना मुझे समाती हो?
चुप ना बैठो तुम, जरा नजर मिलाओ
ख़ूबसूरत सा कोई गीत गुनगुनाओ

