इन्सान होना
इन्सान होना

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ना हिंदू होना, ना मुसलमान होना
कुछ होना हो, तो इन्सान होना
इन्सानों की भीड़ में भेड़िये क्यों खड़े है?
क्या इन्सान भूल गये है इन्सान होना?
बड़ी मुश्किल से मिलता है रुह को जिस्म
ऐ इन्सान, इस सच से ना कभी अंजान होना
चाहे कितनी भी कोशिश कर ले मगर
तेरे बस में नहीं है भगवान होना
तू चाँद पर जा पहुंचा है, ऐ इन्सान
पर तू भूल गया है इन्सान होना
ना हिंदू होना, ना मुसलमान होना
कुछ होना हो, तो इन्सान होना