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Jayesh Mestry

Inspirational

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Jayesh Mestry

Inspirational

छोटा करके

छोटा करके

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ग़म और दुख भरे हालात को छोटा करके

मैं खिल उठता हूं, हर ग़म को छोटा करके


मुकद्दर तो वैसे रुठा ही था मुझ पर

मैं सिंकदर होता हूं, मुकद्दर को छोटा करके


आँसुओं की पनाह ना ली मैने कभी

मुस्कूरा लेता हूं, हर दर्द को छोटा करके


जिंदगी आज है लेकिन, पल मे मिट जायेगी

मैं जी लेता हूं, उस पल को छोटा करके


अपने लिये तो हर दिन क़यामत का दिन है

मैं लड़ता हूं, सारी कायनात को छोटा करके



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