रसोई में मोहतरमा
रसोई में मोहतरमा
कितना अच्छा लगता है
जब तुम रसोई में दिखती हो
कितना प्यारा लगता है
जब तुम आंटा गुथती हो
जब तुम मटर छीलती हो तो
गाजर को रोना आ जाता है
प्याज को धीरे से काटने पर
टमाटर बेचारा डर जाता है
जब तुम आटा लगाती हो
पानी मुस्कराने लगता है
हाथ से जब तेरा बेलन चले
रोटियां आयत वर्ग बन जाती है
तवे की मुस्कराहट को देखो
उसपर रोटियां बिलबिलाती है
ऊपर से कच्ची दिखने वाली
नीचे जल भून सी जाती है
खाना टेबल पर लगा देख
भूख मुस्कराने लगती है
खाने का स्वाद चखा तो
लार टपकना बंद हो जाती है
क्या कहूं मेरी रूठी मोहतरमा
ये अदा ही तो मुझको भाती है
खाना कैसा भी बना हो तुमसे
तेरा हाथ का ही मुझको भाता है।
