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Prafulla Kumar Tripathi

Abstract

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Prafulla Kumar Tripathi

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रसगुल्ले की दावत (बाल गीत )

रसगुल्ले की दावत (बाल गीत )

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एक स्वप्न में मैनें सोचा

रसगुल्ले की दावत करवाऊँ

जिस दावत में बाल सभा के

दादाजी को भी बुलवाऊँ


मैंने सोचा इस दावत को

अपने ही घर पर करवाऊँ

सबसे ऊंची कुर्सी पर

मैं दादाजी को बिठाऊँ


बाल सभा के सब सदस्य

रस ले रसगुल्ला खाते

लेकिन सबसे पहले अपने

दादाजी भोग लगाते।


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