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Anushree Goswami

Crime Inspirational

5.0  

Anushree Goswami

Crime Inspirational

रोशनी रात की

रोशनी रात की

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वो रात को अँधेरे से आँकते हैं,

मुझे तो रात में भी रोशनी नज़र आती है,

रोशनी उन तारों की जो जागते रहते हैं,

किसी मुसाफ़िर के लिए,

जो जागता है रात में भी,

कि सुबह दे पाए रोशनी वो इस जग को,

क्या पता,

वो मुसाफ़िर सूर्य ही हो,

जो लगन से मेहनत करता है अपनी रोशनी पर,

क्या पता, तारों की रोशनी देती हो,

सूर्य को जीने का,कुछ कर दिखाने का जुनून,

कि प्रातः सूर्य होकर प्रेरित तारों से,

जगमगाता हो।


क्या पता,

सूर्य जानबूझकर छिप जाता हो,

कि देख सकें हम भी तारों की सुंदरता को,

और सीख सकें सूर्य की तरह।


क्या पता,

वो अनेक तारें छिपा लेते हैं खुद को,

प्रातः काल में,

कि सूर्य फैला सके अपनी वो रोशनी जग में,

जो उसने नई सीखी है,

रात भर बड़ी ही निष्ठा से।


कि कभी ग्रहण जब होता है,

क्या पता,

वो होती हो तारों और सूर्य की जुगलबंदी,

कि आज सूर्य नए करतब दिखाएगा।


क्या पता,

तारे इसलिए रहते हों सूर्य से दूर,

कि सूर्य की एक अलग पहचान हो,

और सूर्य छिप जाता है हर रात,

करने को प्रकट आभार,

उन्हीं तारों के प्रति।।


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